Tribal Studies: A Leading Career Path in Modern Education
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Tribal Studies आज के मौजूदा एज्यूकेशनल परिवेश में एक बेहतर विकल्प हो सकता है क्योंकि जहॉं भारत की कुल आबादी लगभग 140 अरब पहुंच चुकी है और उसी देश में निवास करने वाली 8.6 प्रतिशत आबादी लगभग 10.4 करोड़ लोग जिन्हें हम अनुसूचित जनजाति (ST) अथवा आदिवासी (Tribals) के नाम से जानते हैं, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत 730 से अधिक जनजातियों को अधिसूचित किया जा चुका है|
भारतीय ट्राइबल्स में मुख्य रूप से भाषा एक मुख्य कारण बनता है जो उन्हें समाज की मुख्य धारा से जुड़ने में बाधा बनता है, भारत ही नहीं अपितु विश्व के संपूर्ण देशों में इनके उत्थान के लिए, इन्हें बढ़ावा देने और इनके अधिकारों की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए कई तरह के कार्यक्रम चलाए जाते हैं. इसी तारतम्य में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पहली बार 1994 को अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी वर्ष घोषित किया था जिसके बाद से हर साल ये दिन 9 अगस्त को मनाया जाता है|
ट्राइबल स्टडीज (Tribal Studies) आज महत्वपूर्ण विषय क्यों है-
यदि आप सामाजिक कार्यों तथा भारत की मूल संस्कृति में रूचि रखते हैं तो आपके लिए ट्राइबल स्टडीज (Tribal Studies) भारतीय शिक्षा में एक ऐसा क्षेत्र है जो आदिवासी समाज, उनकी संस्कृति, परंपराएं, और जीवनशैली के अध्ययन पर केंद्रित है। यह अध्ययन न केवल आदिवासी समुदायों की समझ को गहरा करता है, बल्कि उनके पुनरुत्थान (revival) और सशक्तिकरण के लिए भी महत्वपूर्ण है।
इस लेख में, हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि कैसे ट्राइबल स्टडीज के माध्यम से आदिवासी समाज का पुनरुत्थान किया जा सकता है और उनकी संस्कृति से हम क्या-क्या सीख सकते हैं। इसी के साथ भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का उचित लाभ हर ट्राइबल को मिल सके इसके लिए अध्ययनात्मक सामग्री को एकत्रित करके उसका वर्गीकरण किस तरह किया जाए ताकि उनका विकास हो सके |
Scop of Tribal Studies In India:
भारत में ट्राइबल्स का कोई एक विशेष राज्य नहीं है बल्कि देश के हर राज्य में आपको ऐसे कई स्वदेशी समुदाय मिल जाऍंगे जिनके बारे में जानने पर आप पाऍंगे कि उनकी सामाजिक तथा भौगोलिक परिस्थिति के अनुरूप उनकी संस्कृतियों, परंपराओं और चुनौतियॉं अलग-अलग मिलेगी|
भारत में ट्राइबल स्टडीज (Tribal Studies) एक व्यापक और महत्वपूर्ण अध्ययन क्षेत्र है, जिसमें सांस्कृतिक संरक्षण से लेकर सामाजिक और आर्थिक विकास तक कई पहलुओं का समावेश है। इस क्षेत्र में शिक्षा और अनुसंधान के बढ़ते अवसरों के साथ-साथ नीतिगत निर्माण और विकास की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान किया जा सकता है। डिजिटल युग में इसके विकास की संभावनाएँ और भी अधिक हो गई हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि आदिवासी समुदायों की धरोहर और ज्ञान आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित और प्रासंगिक बना रहे।
डिजिटल युग में सांस्कृतिक संरक्षण: आज मॉर्डन एज्यूकेशनल पैटर्न पूर्णतः डिजीटल आधुनिक तकनीक से व्यवस्थित रूप ले चुकी है और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और प्रसारित कर ट्राइबल स्टडीज (Tribal Studies) के क्षेत्र में डिजिटल आर्काइविंग, वर्चुअल म्यूज़ियम्स, और सांस्कृतिक दस्तावेज़ीकरण के माध्यम से नए अवसरों का विकास हो रहा है।
आदिवासी सशक्तिकरण: भारतीय अर्थव्यवस्था अब वैश्विक रूप से मजबूती की ओर है, और मौजूदा सरकार के प्रयासों से ट्राइबल्स की मांग के अनुरूप योजनाओं का क्रियान्वयन जारी है, ट्राइबल स्टडीज के माध्यम से आदिवासी समुदायों की आवाज़ को नीतिगत और सामाजिक स्तर पर सशक्त करके उन्हें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाना आवश्यक हो चुका है ताकि वे भी समाज में अपनी हिस्सेदारी को मजबूत कर सकें। ट्राइबल स्टडीज (Tribal Studies) अध्ययन उनके सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सशक्तिकरण के नए मार्ग खोलता है।
पर्यावरण संरक्षण तथा स्वास्थ्य सेवाओं में में योगदान : आदिवासी समुदायों का पर्यावरणीय ज्ञान और उनके संरक्षण प्रयासों का अध्ययन, पर्यावरणीय संकटों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। साथ ही भारत में बेहतर स्वास्थ्य के लिए नित नये चिकित्सीय अनुसंधान किये जा रहे हैं जिसमें आर्युवैदिक औषधियों तथा परंपरागत चिकित्सा पध्दति से कई गंभीर बीमारियों का इलाज संभव हो सका है| ट्राइबल स्टडीज (Tribal Studies) के माध्यम से उनके इस पारंपरिक ज्ञान और चिकित्सीय पध्दतियों का अध्ययन किया जा सकता है, जो सतत विकास (sustainable development) में योगदान कर सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन और सहयोग: ट्राइबल स्टडीज का महत्व केवल राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी बढ़ रहा है। वैश्विक संदर्भ में आदिवासी समुदायों की संस्कृति, संघर्ष और सशक्तिकरण के मुद्दों पर अनुसंधान के लिए यह क्षेत्र संभावनाओं से भरा है। इसके जरिए अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और अनुसंधानकर्ताओं के बीच सहयोग के नए द्वार खुल सकते हैं।
ट्राइबल स्टडीज (Tribal Studies) के अंतर्गत रिसर्च और एकेडमिक्स के अच्छे अवसर हैं, आप इसमें एंथ्रोपोलॉजी, हिस्ट्री, लिंग्विस्टिक्स के बारे में सीख सकते हैं और करिअर बनाने के इसमें डिप्लोमा तथा सर्टिफिकेशन कोर्स से लेकर ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन यहां तक की ट्राइबल स्टडीज में स्पेशलाइजेशन भी कर सकते हैं|
भारत के मुख्य संस्थान जो ट्राइबल स्टडीज को पाठ्यक्रम के रूप में संचालित कर रहे हैं-
दिल्ली विश्वविद्यालय – यहॉं का सेंटर फॉर ट्राइकल स्टडीज इसका कोर्स कराता है | जिसमें यूजी तथा पीजी लेवल पर ट्राइबल की मौजूदा समस्याओं और उनके विकास को समायोजित किया गया है|
इंदिरा गॉंधी नेशनल ट्राइबल यूनिवर्सिटी मध्यप्रदेश – यह संस्थान आदिवासी संस्कृति, विकास और कानून में अपने विशेष पाठ्यक्रमों के लिए जाना जाता है, यहॉं आदिवासी जीवन में थ्योरी के अलावा प्रक्टिकल ट्रैनिंग के हिसाब से इस विश्वविद्यालय को मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल क्षेत्र अनुपपुर जिले के अमरकंटक शहर में स्थापित किया गया है|
कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज ओडिशा– यह दुनिया के सबसे बड़े आदिवासी आवासी विद्यालयों में से एक है, आदिवासी समुदायों पर केंद्रित कई कोर्सेज उपलब्ध हैं, साथ ही यहां छात्रों को रिसर्च के अवसर पर दिये जाते हैं|
नार्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी मेघालय- यहां आपको भारत की जनजातियों के बारे में गहरी जानकारी मिलेगी साथ ही एंथ्रोपोलॉजी, हिस्ट्री और एथ्नोग्राफी में रिसर्च के अवसर भी मिलते हैं|
टाटा इंस्टीट्यून ऑफ सोशल साइंसेज- यह संस्थान अपने सोशल वर्क और डेवलपमेंट प्रोग्राम्स के लिए जाना जाता है, यहॉं छात्रों को ट्राइबल स्टडीज में फील्डवर्क का भी अवसर मिलता है|
यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद- यहॉं एंथ्रोपोलॉजी में स्पेशलाज्ड प्रोग्राम्स उपलब्ध हैं| इसके अलावा यहॉं छात्रों को इनोवेटिव रसिर्च प्रोजेक्ट्स भी दिए जाते हैं|
इंदिरा गॉंधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी- यह भारत का डिस्टेंस लर्निंग में सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है जहॉं आपको ट्राइबल स्टडीज में सर्टिफिकेट प्रोग्राम से लेकर यूजी, पीजी तथा रिसर्च वर्क भी करने को मिलेगा |
डॉ. हरींसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर- मध्यप्रदेश के सागर जिले में स्थित केन्द्रीय विश्वविद्यालय दर्जा प्राप्त संस्थान है इसमें आपको समाज शास्त्र और मानव शास्त्र के साथ भाषा विज्ञान जैसे कई पाठ्यक्रम में भारतीय जनजातीय व्यवस्थाओं और संस्कृति के बारे में पढ़ने को मिल सकता है|
सेक्टर्स जहॉं ट्राइबल स्टडीज (Tribal Studies) में हैं अवसर:
एकेडमिक और रिसर्च फील्ड- आप विश्वविद्यालयों और रिसर्च सेंटर्स में पढ़ाने के साथ ही यहॉं रिसर्च कर सकते हैं, इस फील्ड के स्कॉलर्स ट्राइबल इश्यूज को सुलझाने पर काम करते हैं| आपके रिसर्च पेपर्स के आधार पर कई संस्थान फंड जारी कर इसे प्रोजेक्ट के रूप में क्रियान्वित करने का मौका दे सकते हैं|
शासकीय उपक्रम – इसमें आप आदिवासी कल्याण और विकास कार्यों पर ध्यान करने वाले सरकारी विभागों के साथ काम कर सकते हैं जनजातीय मामलों के मंत्रालय या राज्य जनजातीय विभागों में जनजातीय समुदायों को लाभान्वित करने वाले कार्यक्रमों तथा रोजगारोन्मुखी उपक्रमों, पशुपालन, मत्स्य पालन तथा जैव विविधता आधारित प्रोजेक्ट पर काम कर सकते हैं|
एनजीओ- आपकी सामाजिक कार्यों के प्रति रूचि आपको स्वरोजगारोन्मुखी करिअर चुनने का अवसर प्रदान करती है, इस फील्ड में एनजीओ के साथ तथा स्वस्थापित एनजीओ भी तैयार कर सकते हैं जिसमें खादी ग्रामोद्योग, नाबार्ड तथा जिला आदिम जाति कल्याण तथा जनपद स्तर से कई प्रोजेक्ट में कार्यों के अलावा जनजातिय समुदायों के लिए वकालत, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा पर ध्यान दे सकते हैं|
आज एनजीओ के क्षेत्र में सरकारें तथा स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर ऐसी परियोजनाओं को डिजाइन और कार्यान्वयन किया जा रहा है जो आदिवासी समाज को सशक्त बनाती है|
सीएसआर – सीएसआर के माध्यम से आदिवासी समुदायों को सतत विकास की राह पर जोड़ने का कार्य कई संस्थानों में ऐसे प्रोफेशनल की मांग को बढ़ाता है जिनकी ट्राइबल स्टडीज में विशेषता है|
Basic Skills of Tribals Studies Sectors:
- सर्वप्रथम आपको जनजातीय समुदायों के विविध सांस्कृतिक परंपराओं को समझना और उनका सम्मान करना जरूरी है, प्रोफेशनल को उनके कल्चर की गहरी समझ होना आवश्यक है|
- कम्यूनिकेशन स्किल्स- अक्सर इस क्षेत्र में आपको एक प्रोफेशनल के रूप में कई सरकारी संगठनों, एजेंसियों और एनजीओ के साथ मिलकर काम करना पढ़ सकता है जिसके लिए आपका कम्यूनिकेशन स्किल्स अच्छी होनी चाहिए ताकि आप दूसरों को सक्रिय रूप से सुनने और विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने की क्षमता विस्तृत हो सके |
- रसिर्च और एनालिटिकल स्किल्स- रिसर्च करना और डेटा एनालाइज करना इस फील्ड का अहम हिस्सा है, जनजातीय संस्कृतियों, सामाजिक आर्थिक स्थितियों और नीति प्रभावों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने और व्याख्या करने के लिए प्रोफेशनल की एनालिटिकल स्किल्स मजबूत होनी चाहिए|
- प्रोजेक्ट मैनेजमेंट स्किल्स- इस फील्ड में आपको कई तरह के प्रोजेक्टस मैनेज करने होंगे ऐसे में आपकी प्रोजेक्ट मैनेजमेंट स्किल्स अच्छी होनी चाहिए |
ट्राइबल स्टडीज न केवल आदिवासी समाज की समझ और उनके पुनरुत्थान में मददगार है, बल्कि यह हमें उनकी संस्कृति से जुड़े गहरे सबक भी सिखाता है। यह अध्ययन आदिवासी समुदायों के विकास और संरक्षण के साथ-साथ हमें उनकी अद्वितीय जीवनशैली और ज्ञान से भी जोड़ता है। आदिवासी समाज के पुनरुत्थान और उनके अनुभवों से सीखना, एक समृद्ध और संतुलित समाज की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है।