Republic Day: A day Reflect on Our Nation’s Progress and Pride (26 January 2026 )
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गणतंत्र दिवस: हमारे राष्ट्र की प्रगति और गौरव को प्रतिबिंबित करने वाला दिन
भारत आज 75वां (Republic Day) गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है, 2024 की शुरूआत ही उत्सव और त्यौहारों से रही है हमने बीते सप्ताहों में हिन्दी दिवस, स्वामी विवेकानंद जयंती, थल सेना दिवस, लोहड़ी और मकर संक्रांति जैसे त्यौहार मनाये वहीं रामलला के रूप में ‘बालक राम’ को पाकर संपूर्ण भारतवासी धन्य हुए, और इसी उत्सव बेला में गणतंत्र दिवस का होना मानो भारत को त्योहारों का देश कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी.
आज जबकि हम देख रहे हैं कि भारत के कई पड़ोसी देश अपने द्वारा लिए गए आर्थिक निर्णयों के कारण वहां की जनता को गहरे आर्थिक संकट में धकेल दिया है, जिससे उभरने के लिए उनके पास कोई इंतजाम नहीं है, ऐसा उन्होंने सिर्फ भारत के बढ़ते वर्चस्व को खत्म करने के उद्देश्य से किया, जबकि ये देश अगर चाहते कि भारत के साथ व्यापारिक स्थिति को मजबूत कर भारत के साथ प्रगति के पथ पर नये आयाम रच सकते थे.
गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को मनाये जाने का मुख्य कारण
जैसा कि हम जानते हैं 15 अगस्त सन 1947 को हमारी शासकीय व्यवस्था पूर्णरूपेण ब्रिटिश की अधीनता से मुक्त हो सकी जिसके लिए हमारे पूर्वजों के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता, इसी के साथ भारत को 2 हिस्सों में तोड़ने में सफल रही ब्रिटिश सरकार चाहती थी कि भारत में अस्थिरता की स्थिति बनी रहे,
लेकिन ब्रिटिश हुकुमत को जड़ से समाप्त करने वाली देश के तात्कालिक राजनीतिज्ञों और विधिवेत्ताओं ने समझदारी से कार्य करते हुए एक लिखित मसौदा तैयार करने पर सहमति दर्ज की जिसके चलते 4 नवंबर 1947 को संविधान का एक औपचारिक मसौदा संविधान सभा में प्रस्तुत किया गया।
अगले दो वर्षों में, विधानसभा ने कई सत्रों में भाग लिया, संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को संविधान को अंगीकार करते हुए 24 जनवरी 1950 को अंततः इसे अपनाने से पहले विभिन्न परिवर्तनों पर विचार-विमर्श किया और शामिल किया। इस महत्वपूर्ण दिन पर, विधानसभा के 308 सदस्यों ने पाठ की दो प्रतियों पर अपने हस्ताक्षर किए, जिनमें से एक हिंदी में थी। और दूसरा अंग्रेजी में.
यह क्षण भारत के लिए महत्वपूर्ण था क्योंकि संविधान ने देश के लिए मूलभूत कानूनी दस्तावेज़ के रूप में ब्रिटिश औपनिवेशिक भारत सरकार अधिनियम (1935) को हटा दिया। और एक स्वतंत्र गणराज्य के रूप में अपनी स्थिति की पुष्टि की।
संविधान सभा ने इस दस्तावेज़ को राष्ट्रीय गौरव के पर्यायवाची दिन पर स्थापित करने का लक्ष्य रखा, इस उद्देश्य के लिए 26 जनवरी को चुना। ब्रिटिश शासन से “पूर्ण स्वराज” (पूर्ण स्वतंत्रता) के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) लाहौर सत्र के दौरान 26 जनवरी 1930 को मसौदा रखा था और देश की जनता से इस दिवस को मनाने का आग्रह किया गया था, जिसके चलते उस दिन के रूप में 26 जनवरी 1950 को गणतंत्र दिवस के रूप में चुना गया.
गणतंत्र दिवस की परेड आज महत्वपूर्ण परम्परा -
गणतंत्र दिवस की परेड देखना भी परंपरा का हिस्सा है। इस वर्ष, परेड की शुरुआत 100 महिला कलाकारों द्वारा विभिन्न भारतीय वाद्ययंत्रों के मनमोहक प्रस्तुति के साथ होने जा रही है जिसमें विशेष रूप से, त्रि-सेवा महिला दल भाग लेगा, जो गणतंत्र दिवस समारोह के इतिहास में पहली बार ऐतिहासिक घटना होगी। दर्शकों को, व्यक्तिगत रूप से और वस्तुतः, प्रसिद्ध कोर ऑफ़ सिग्नल्स मोटरसाइकिल राइडर डिस्प्ले टीम, जिसे आमतौर पर ‘डेयर डेविल्स’ के नाम से जाना जाता है, द्वारा आश्चर्यजनक करतब दिखाए जाएंगे।
भारत पर्व गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम का मुख्य आकषर्ण
भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने नौ दिवसीय मेगा कार्यक्रम “भारत पर्व” का आयोजन पराक्रम दिवस के अवसर पर, पीएम नरेंद्र मोदी ने भारत पर्व के 2024 संस्करण का शुभारंभ किया। भारत पर्व स्वतंत्रता और संप्रभुता का 9 दिनों तक चलने वाला उत्सव है। इसकी झांकी, सांस्कृतिक प्रदर्शन और सेना बैंड प्रदर्शन के माध्यम से देश की विविधता को प्रदर्शित करने पर केंद्रित होगा।
जिसमें क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों द्वारा गतिशील सांस्कृतिक प्रदर्शन और विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सांस्कृतिक मंडलों की आकर्षक प्रस्तुतियां, सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करने वाले खाद्य स्टाल, हस्तशिल्प और हथकरघा प्रदर्शन और सशस्त्र बल बैंड द्वारा उत्साही प्रदर्शन।
गणतंत्र दिवस पर याद करें उन नीति निर्देशकों के वचनों को
- कल सुबह की सुनहरी किरणें जैसे ही आकाश को रंगेंगी, दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक भारत अपनी विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के साथ गणतंत्र दिवस की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा।
- गणतंत्र दिवस 26 जनवरी, 1950 को भारत के संविधान को अपनाने की याद दिलाता है। जबकि भारत को 1947 में औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता मिली, लेकिन 26 जनवरी, 1950 तक भारत का संविधान लागू नहीं हुआ था। इसके बाद भारत एक गणतंत्र घोषित होकर एक संप्रभु देश बन गया।
- अपने देश की सांस्कृतिक और आर्थिक उन्नति की दिशा में काम करते हुए, उन कई नायकों को याद करते हैं जिन्होंने हमारे देश के लिए बलिदान दिया।
- गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर को याद करते हुए उनके विचार - "विश्वास वह पक्षी है जो तब रोशनी महसूस करता है जब भोर में भी अंधेरा होता है।"
- भगत सिंह - निर्दयी आलोचना और स्वतंत्र सोच क्रांतिकारी सोच के दो आवश्यक लक्षण हैं।"
- डॉ. बीआर अंबेडकर- मैं किसी समुदाय की प्रगति को महिलाओं द्वारा हासिल की गई प्रगति के आधार पर मापता हूं।
- रामप्रसाद बिस्मिल - "सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है।
- स्वामी विवेकानंद- "एक नए भारत का उदय किसानों की झोपड़ी से, हल पकड़ने वाले से, झोपड़ियों से, मोची से, सफाई करने वाले से हो।"
- बाल गंगाधर तिलक - "स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा।" -.
- महात्मा गांधी -"आज हर कोई जानना चाहता है कि उसके अधिकार क्या हैं, लेकिन अगर कोई व्यक्ति बचपन से ही अपने कर्तव्यों का पालन करना सीखता है और अपने धर्म की पवित्र पुस्तकों का अध्ययन करता है तो वह स्वचालित रूप से अपने अधिकारों का भी प्रयोग करता है।"
गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति डॉ. द्रोपदी मुर्मू के संभाषण के कुछ अंश -
हमारे गणतंत्र का पचहत्तरवां वर्ष, कई अर्थों में, देश की यात्रा में एक ऐतिहासिक पड़ाव है। यह उत्सव मनाने का विशेष अवसर है, जैसे हमने, स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे होने पर, ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के दौरान अपने देश की अतुलनीय महानता और विविधतापूर्ण संस्कृति का उत्सव मनाया था। कल के दिन हम संविधान के प्रारंभ का उत्सव मनाएंगे। संविधान की प्रस्तावना “हम, भारत के लोग”, इन शब्दों से शुरू होती है। ये शब्द, हमारे संविधान के मूल भाव अर्थात् लोकतंत्र को रेखांकित करते हैं। भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था, लोकतंत्र की पश्चिमी अवधारणा से कहीं अधिक प्राचीन है। इसीलिए भारत को “लोकतंत्र की जननी” कहा जाता है।
भारत की वैश्विक और भौगोलिक पृष्ठभूमि को याद करते हुए -
भारत की एक अनूठी संस्कृति है और यह दुनिया की सबसे पुरानी और महान सभ्यताओं में से एक है। इसके साथ ही यह अपने-आप को बदलते समय के साथ ढ़ालती भी आई है। आज़ादी पाने के बाद भारत में बहुआयामी सामाजिक और आर्थिक प्रगति की है। भारत कृषि में आत्मनिर्भर बन चुका है और अब दुनिया के सबसे औद्योगीकृत देशों की श्रेणी में भी इसकी गिनती की जाती है। साथ ही उन चंद देशों में भी इसका शुमार होने लगा है, जिनके कदम चांद तक पहुंच चुके हैं।
भारत का क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग कि.मी. है, जो हिमाच्छादित हिमालय की ऊंचाइयों से शुरू होकर दक्षिण के विषुवतीय वर्षा वनों तक फैला हुआ है। विश्व का सातवां बड़ा देश होने के नाते भारत शेष एशिया से अलग दिखता है जिसकी विशेषता पर्वत और समुद्र ने तय की है और ये इसे विशिष्ट भौगोलिक पहचान देते हैं। उत्तर में बृहत् पर्वत श्रृंखला हिमालय से घिरा यह कर्क रेखा से आगे संकरा होता जाता है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर तथा दक्षिण में हिन्द महासागर इसकी सीमा निर्धारित करते हैं।
गणतंत्र दिवस के वास्तविक मायने -
“संविधान मात्र एक कानूनी दस्तावेज नहीं है; भारतीय संविधान के प्रमुख वास्तुकार डॉ. भीम राव अंबेडकर ने कहा, “यह जीवन का वाहन है और इसकी आत्मा हमेशा युग की भावना है।” यह न केवल एक गणतंत्र के रूप में भारत की संवैधानिक यात्रा का स्मरण कराता है, बल्कि इसका जश्न भी मनाता है। लोकतंत्र और विविधता में एकता के मूल्य। यह स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे के लोकतांत्रिक आदर्शों के प्रति देश की प्रतिबद्धता का भी जश्न मनाता है और भारतीय संविधान में निहित मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।
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