Lal Salaam Movie Review: Rajnikant’s Stellar Acting Makes It a first Blockbuster Hit in 2024
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ToggleLal Salaam Movie : रजनीकांत का शानदार अभिनय लाल सलाम को 2024 की पहली ब्लॉकबस्टर हिट बनाता है
Lal Salaam साल की सबसे मोस्ट अवेटेड फिल्म लाल सलाम पूरे भारत के सिल्वर स्क्रीन पर अपना रंग बिखेरने आ चुकी है, फिल्म में मेगास्टार रजनीकांत का जादू तो चला ही है साथ ही उनकी बेटी ऐश्वर्या ने भी अपने कुशल निर्देशन से एक्शन फिल्मों में शानदार कमबेक किया है.
Lal Salaam Movie Review:
पेन इंडिया रजनी अन्ना का कौन दीवाना नहीं है, फिल्म LAL SALAAM फिर एकबार अपनी एक्टिंग के दम से अपनी उम्र को ही छोटा कर दिया है, उनकी बेटी ऐश्वर्या जो लगभग 8 साल बाद एक्शन फिल्म के साथ वापिस आई है उन्होंने अपने पिता सुपरस्टार रजनीकांत को लाल सलाम के साथ बेहतर न्याय करने का पूरा मौका इस फिल्म में दिया है, लाल सलाम जिसमें एक्टर विष्णु विशाल और विक्रांत ने भी अपना शानदार अभिनय निभाया है यह कहानी जो क्रिकेट में धर्म को जोड़ते हुए एक गांव के लोग किस तरह खेल का राजनीतिकरण करते हैं पर आधारित है.
पिछले साल शानदार एक्शन और फोरवेर पॉजीटिवनिस के साथ रजनीकांत को जेलर में देखा गया था, जिसमें अभिनेता विनायकन ने अपने जंगली निगेटिव किरदार की दम पर रजनीकांत को स्थापित होने के लिए दमदार टक्कर दी थी. भारत की लगभग 54 प्रतिशत फिल्में जो साऊथ इंडस्ट्रीज से रिलीज होती है इसका एक बहुत साधारण सा कारण है कि वहां की ब्लॉकबस्टर्स फिल्में ही नहीं बल्कि बहुत साधारण फिल्में भी अपनी क्रिएटिविटी, स्क्रीनप्ले, एक्शन, निर्देशन, और सबसे ज्यादा हमारे बीच के सेंटीमेंट को स्टोरी में लेकर दर्शाना उन्हें हिट बनाता है.
Lal Salaam Movie Storyline: मोइदीन भाई की खेल से राजनीतिकरण की कहानी
विष्णु विसाल और मोहदीन भाई के बेटे शम्सुद्दीन का क्रिकेट में बचपन से ही कॉम्पिटिशन रहा है और यह बात उनके गांव के क्रिकेट मैदान तक फैली हुई है, मोइदीन भाई द्वारा शुरू की गई थ्री स्टार टीम, थिरू और शम्सू दोनों के साथ एक विजेता टीम थी, लेकिन थिरू की सफलता से जलन की भावना और गलत इरादा रखने वाले लोगों ने उन्हें टीम से निकाल दिया, थिरू प्रतिद्वंदी एमसीसी टीम बनाता है और दोनों टीमें गांव में विभिन्न धर्मों का प्रतिनिधित्व करती है, गांव में मैच को भारत बनाम पाकिस्तान की तर्ज पर देखा जाता है जो पहले शांतिपूर्ण और सद्भाव में खेला जाता था.
क्रिकेट में धर्म को लेकर कहानी का ताना-बाना बनाया गया है -
मोइदीन भाई अपने परिवार के साथ मुंबई में रहते हुए अपने बेटे शम्सू के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट में खेले हुए देखने का सपना रखते हैं, लेकिन गांव में एक मैच थिरू और शम्सू के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ आ जाता है, जहां वैचारिक संघर्ष और हिंदू-मुस्लिम झगड़े में परिवर्तित हो जाता है, अब देखना यह है कि क्या शम्सू आखिरकार भारत के लिए क्रिकेट खेलता है, और क्या मोइदीन भाई लड़कों की प्रतिद्वंता और गांव के हिन्दू-मुस्लिम झगड़े को खत्म कर पाते हैं?
Lal Salaam: हिंदुओं और मुसलमानों के बीच के संबंधों की कहानी
फिल्म लाल सलाम के पहले भाग में गांव में रह रहे हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच के संबंधों को दर्शाते हुए थिरू और शम्सू के बीच प्रतिद्वंदिता और दूसरे भाग में स्टोरी को गति देते हुए रजनीकांत अपने पावर-पैक प्रदर्शन के साथ नजर आते हैं, रजनीकांत को इस्लामिक लिबाज में देखते ही बनता है, जिसमें वे एक मुस्लिम नेता का किरदार निभाते हुए दिखाए गये हैं, रजनीकांत के कुछ डायलॉग उनकी व्यक्तिगत छवि से मेल खाते हुए स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किये गये हैं जो कि रोंगटे खड़े कर देने वाले हैं, फिल्म में कुछ ऐसे दृश्य भी देखने को मिल सकते हैं जो आपकी आंखे नम कर देंगे.
रजनीकांत की दोहरी भूमिका ने उनके फेन्स के लिए बहुत लुभाया उदाहरण के लिए, एक सीन में मोइदीन भाई कहते हैं, कि भारत भारतीयों के लिए है और मैं एक भारतीय मुसलमान हूं. मैं यहीं पैदा हुआ और यहीं मरूंगा. यह मेरा घर है, हमें जाति या धर्म की नहीं बल्कि इंसानियत की बात करनी चाहिए और इंसानियत सबसे ऊपर है. जय हिन्द.
सबसे ऊपर मानवता एक ऐसा पहलू है जिसके बारे में सुपरस्टार रजनीकांत ने वास्तविक जीवन में भी बात की है. इसके अलावा, रजनीकांत ने एक पिता की दोहरी भूमिका को खूबसूरती से निभाया है, जिसकी अपने बेटे के लिए आकांक्षाएं हैं, और एक सामुदायिक नेता, जो मानता है कि धर्म या जाति के बावजूद सभी लोग एक हैं.
‘लाल सलाम’ और सुपरस्टार रजनीकांत का क्रेज फैंस के सिर चढ़कर बोल रहा है. फिल्म रिलीज के साथ ही इसे पहले दिन देखने के लिए काफी संख्या में दर्शक सिनेमाघर पहुंच रहे हैं. वहीं अब फिल्म देखने के बाद दर्शकों ने सोशल मीडिया पर इसका रिव्यू शेयर करना भी शुरू कर दिया है. तमाम दर्शकों ने स्पोर्ट्स ड्रामा को काफी पसंद किया है.
कई रिव्यूकर्ताओं ने ‘लाल सलाम’ के प्लॉट को काफी इम्प्रेसिव बताया है, स्पेशली सेकंड हाफ. रजनीकांत ने अपनी एक्टिंग से महफिल लूट ली, वहीं विष्णु विशाल और विक्रांत ने भी दमदार परफॉर्मेंस दी है. फिल्म का क्लाइमेक्स दर्शकों को बहुत पसंद आया है इस दौरान दर्शक आंसुओं के साथ सिनेमाघरों से बाहर निकलने पर मजबूर हुए. Worldbridge Lal Salaam की सफलता के लिए बधाई प्रस्तुत करता है
Super Star Rajnikant: A Legacy Etched in Celluloid
Rajinikanth. The name itself evokes a powerful image – a charismatic wink, a gravity-defying stunt, and a dialogue that becomes instant legend. In India, and increasingly around the world, Rajinikanth isn’t just an actor; he’s a phenomenon, a cultural icon whose influence transcends the silver screen.
His journey began humbly, not on the glitzy sets of Chennai, but on the conductor’s seat of a bus in Bangalore. Yet, destiny had other plans. From playing bit parts in the 1970s to becoming the undisputed king of Tamil cinema in the 80s and 90s, Rajinikanth’s rise was meteoric.
Early Days: From Antagonist to Action Hero:
Rajinikanth’s initial roles were often negative characters, his brooding intensity leaving a mark on audiences. But it was K. Balachander’s “Moondru Mudichu” (1976) that became a turning point. His portrayal of the righteous Shankar earned him recognition and paved the way for his action hero image.
The Superstar Era Blockbusters and Beyond:
The 80s and 90s were synonymous with Rajinikanth’s superstardom. Films like “Naan Sigappu Manithan” (1985), “Padikkadavan” (1985), and “Annaamalai” (1992) showcased his action prowess and mass appeal. But he wasn’t just about punches and kicks. Films like “Muthu” (1995) and “Arunachalam” (1997) displayed his softer side, proving his versatility.
More Than Just Movies: A Cultural Icon
Rajinikanth’s influence extends far beyond box office numbers. His signature style – the sunglasses, the mannerisms, the dialogues – have become pop culture staples. He is a trendsetter, a fashion icon, and a source of inspiration for millions.
Beyond Tamil Cinema: A Pan-Indian Star
While Tamil cinema remains his home turf, Rajinikanth’s stardom transcends regional boundaries. Films like “Chandramukhi” (2005) and “Enthiran” (2010) garnered pan-Indian attention, while his Bollywood appearances in “Hum” (1991) and “ChaalBaaz” (1989) showed his national appeal.
Looking Ahead: The Legacy Continues
Even at 72, Rajinikanth shows no signs of slowing down. Upcoming projects like “Jailer” and “Lal Salaam” promise to continue his cinematic legacy.
Rajinikanth’s story is one of talent, hard work, and an undeniable charisma that has captivated audiences for decades. He is a true superstar, a legend whose name is etched forever in the annals of Indian cinema.