शाहरूख और राजकुमार हिरानी का डंकी (Dunki) प्रोजेक्ट इमोशनल ड्रामा के साथ सोशल मैसेज देने में की अपार सफलता
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शाहरूख की फेन फोलाेइंग और राजकुमार हिरानी का उद्देश्य फिल्म डंकी में सफल होते दिख रहा है पहले और दूसरे दिन की कमाई के नजरिए से न देखते हुए बल्कि सोशल कंटेट से हमारे लिए एक विशेष संदेश देने में सफल रही है. आज जबकि देश का युवा हमेशा नये रोजगार और सफल करियर के चक्कर में जहॉं देश से बाहर जाना चाहते हैं यह फिल्म ऐसे सभी युवाओं के लिए एक मार्गदर्शन तय करती नजर आती है.
Dunki फिल्म की शुरूआत पंजाब के छोटे से शहर में अपनी मजबूरियों और परेशानियों से मुक्ति के लिए किसी भी तरह से इंग्लेण्ड जाने की फिराक में वीजा की जद्दोजहद में लगे हैं और अंग्रेजी सीखने की नाकाम कोशिश उनकी मुश्किलों को और बड़ा देती है. अंग्रेज जब भारत आए तो क्या हमने उनका इंटरव्यू लिया था क्या उनसे पूछा था कि उन्हें हिन्दी आती है या नहीं जैसे संदेश और विक्की कौशल द्वारा लिया गया निर्णय सभी के लिए ऐसा रास्ता चुनने के लिए मजबूर कर देता है कि वे अपनी जान की परवाह न करते हुए एक ऐसे सफर को चुनते हैं जो बेहद ही खतरनाक होने के साथ-साथ जानलेवा भी है, जिसे प्रोजेक्ट डंकी नाम दिया गया. सफर के दौरान अप्रवासियों द्वारा लिये गये निर्णयों की वीभत्सा को उजागर करने में राजकुमार हिरानी सफल तो रहे लेकिन वह टॉपिक वास्तव में इतना खतरनाक है कि उसकी वीभत्सना को पर्दे पर नहीं उकेरा जा सकता.
इंग्लैण्ड पहुंचकर स्वयं को लीगल करने की फिराक में कानून के साथ खेलना सिर्फ एक मजाक था लेकिन किंग खान ने अपने अंदाज में एक मार्मिक संदेश दिया नागरिकता अनुच्छेद केवल गरीबों के लिए परेशानी खड़ी करता है जबकि अमीरों के लिए नागरिकता कोई मुद्दा नहीं है. इससे बड़ा संदेश जो हमें गर्व महसूस कराता है कि हमको नागरिकता दें अथवा नहीं लेकिन हम अपने देश को अपनी जान का खतरा नहीं मान सकते देश हमारी शान है देश हमारी पहचान है और उस पर गर्व है.
डंकी Dunki जो नाम फिल्म को दिया गया है वह उससे कहीं और ज्यादा इस बात के लिए प्रेरित करता है कि केवल प्रवर्जन ही मुद्दा नहीं है बल्कि उस सफर में हम कुछ पाने की तलाश में क्या कुछ खो देते हैं. सबसे बड़ा उसमें हमारा अपना त्याग छुपा होता है. हिरानी जी ने ब्लॉकबस्टर बनाने के चक्कर में इस बात को बहुत ही सरल रूप दिया है ताकि लोग इसे पचा सकें अगर यह फिल्म को ओटीटी प्लेटफार्म पर क्रिएट करने के उद्देश्य से बनाया जाता तब इस मुद्दे की फिल्म को कालजयी रचना के रूप में देख पाते. शाहरूख का किरदार बहुत ही हल्के-पुल्के तरीके से इस बात को और आसान बना देता है.
आज जबकि भारत पूरे विश्व को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है ऐसे में देश के युवाओं को डंकी से प्रेरणा लेनी होगी कि अपने करियर को बनाने के लिए ऐसे रास्तों का चुनाव कतई न करें जो आपको और आपके परिवार को परेशानी का सबस बने. वास्तव में प्रवर्जन का जन्म ऐसे देश देते हैं जिनकी सरकारें अस्थिर है, लोगों को शिक्षा औ रोजगार की व्यवस्था दे पाने में सरकारे असफल होती है, देश में अराजकता का माहौल बना हौ, सरकारों की डिपेन्डेंसी दूसरे देशों पर ज्यादा हो या बाहरी शक्तियों का प्रभाव ज्यादा हो, लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति न हो पा रही हो, महिलाओं की स्थित विचारनीय हो, आज जबकि भारत आर्थिक रूप से उभर रहा है अर्थव्यवस्था में निवेश करने के लिए हर देश तैयार है. तो हमें जो भी सृजनात्मकता और कौशल के दम से देश को और सशक्त करना है. देश छोड़ने से परेशानियॉं नहीं छूटती बल्कि परेशानियॉं हमेशा हमारे साथ चलती हैं जिनका सामना हमें करना ही होगा.