Innovative Battery Leasing Models! Powering the Future of Electric Vehicles in 2024
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आज भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हाई रेंज Electric Vehicles का बाजार तेजी से बढ़ रहा है, और विभिन्न ब्रांड्स अपनी उन्नत तकनीक और सुविधाओं के साथ उपभोक्ताओं को आकर्षित कर रहे हैं। इन वाहनों ने न केवल पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी को प्रोत्साहित किया है, बल्कि उपभोक्ताओं को एक किफायती और सुविधाजनक ड्राइविंग अनुभव भी प्रदान किया है। भारत में इन हाई रेंज Electric Vehicles की बढ़ती लोकप्रियता से यह स्पष्ट है कि भविष्य में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी का क्षेत्र और अधिक विस्तारित होगा।
टाटा मोटर्स जिन्होंने साल 2008 में मध्यवर्गीय परिवारों को ध्यान में रखते हुए 1 लाख रूपये में फोर व्हीलर उपलब्ध कराने के उद्येश्य से टाटा नेनो का लॉंच किया था लेकिन कार के इंजिन और suffocation के चलते इस कार को लोगों ने ज्यादा पसंद नहीं किया लेकिन हाल ही में आई खबर से यह स्पष्ट हुआ है कि टाटा मोर्टस अपने नेनो मॉडल को इलेक्ट्रिक व्हीकल की रैंज में शिफ्ट करते हुए कार को द्वारा से लॉंच करने जा रहे हैं।
भारत जैसे विकासशील देशों में Electric Vehicles का एक बड़ा हिस्सा लोकल ट्रांसपोर्ट के रूप में भी उभर रहा है। पर्यावरण के दृष्टिकोण से सोचें तो ये व्हीकल्स हमारे लिए कई मायनों में फायदेमंद हैं, क्योंकि ये प्रदूषण को कम करते हैं और हमारे कार्बन फुटप्रिंट को घटाते हैं। किंतु आर्थिक दृष्टि से देखें तो यह मध्यमवर्गीय व्यक्ति के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, जिनकी आय का साधन ई-रिक्शा, ई-ऑटो, इलेक्ट्रिक बाइक अथवा स्कूटर होता है।
Electric Vehicles की ओर लोगों की उदासीनता का मुख्य कारण
Electric Vehicles (EVs) की ओर लोगों की उदासीनता, जहाँ एक ओर पारंपरिक पेट्रोल और डीजल वाहनों का अभी भी प्रभुत्व होना है वहीं EVs की शुरुआती कीमत पारंपरिक वाहनों की तुलना में अधिक होती है। बैटरी और इलेक्ट्रिक ड्राइवट्रेन तकनीक की उच्च लागत के कारण, EVs की कीमतें अधिक होती हैं।
इसके अलावा, Electric Vehicles की बैटरी की रिप्लेसमेंट पॉलिसी भी काफी महंगी होती है। अधिकतर लोग ई-बाइक खरीदने से पहले सोचते हैं कि बैटरी को 3-4 साल तक इस्तेमाल कर सकेंगे, लेकिन बैटरी रिप्लेसमेंट की लागत इतनी होती है कि इसमें उतना ही पैसा लग जाता है जितना कि 3 साल तक पेट्रोल या डीजल भरवाने में खर्च होता है। इससे यह तकनीक दो वर्गों में बंट जाती है: एक जो इसके आगामी खर्चों को उठा सकता है और दूसरा, जो इसके उपयोग के बजाय अपने पुराने वाहन को ही चलाएगा।
बैटरी रिप्लेसमेंट की लागत:
Electric Vehicles की बैटरी की रिप्लेसमेंट पॉलिसी भी काफी महंगी होती है। अधिकतर लोग ई-बाइक खरीदने से पहले सोचते हैं कि बैटरी को 3-4 साल तक इस्तेमाल कर सकेंगे, लेकिन बैटरी रिप्लेसमेंट की लागत इतनी होती है कि इसमें उतना ही पैसा लग जाता है जितना कि 3 साल तक पेट्रोल या डीजल भरवाने में खर्च होता है। यह तकनीक उन लोगों के लिए दो वर्गों में विभाजित हो जाती है: एक, जो इसके आगामी खर्चों को उठा सकता है, और दूसरा, जो इसके उपयोग के बजाय अपने पुराने वाहन को ही चलाएगा।
Electric Vehicles मार्केट में Battery Leasing मॉडल जो इसमें जान डाल सकता है-
Battery Leasing कॉन्सेप्टः आज के दौर में जब पर्यावरणीय समस्याएं और पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें हमारे सामने प्रमुख चुनौतियाँ बनकर खड़ी हैं, इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) एक बेहतर विकल्प के रूप में उभरकर सामने आए हैं। लेकिन EV अपनाने में सबसे बड़ी अड़चन होती है उसकी बैटरी की कीमत।
इस समस्या का समाधान Battery Leasing कॉन्सेप्ट हो सकता है। Battery Leasing मॉडल में ग्राहक बैटरी खरीदने के बजाय उसे किराए पर लेते हैं। इससे EV की शुरुआती लागत में भारी कमी आ सकती है, जिससे अधिक लोग इसे खरीदने के लिए प्रेरित हो सकते हैं। इसके साथ ही, मासिक किराए के रूप में भुगतान करना पेट्रोल या डीजल की लागत के मुकाबले सस्ता पड़ता है।
कई देशों ने इस मॉडल को विकसित करना चाहा लेकिन उसमें कुछ त्रुटियां शामिल रही जैसे किसी उपभोक्ता द्वारा ई-कार खरीदने पर उससे बैटरी की कीमत नहीं ली गई बल्कि उसे अपनी बैटरी को बदलने के लिये अधिकतम पॉंच साल का समय दिया गया साथ ही ई-कार के उस दौरान चलने के लिए माइल्स निर्धारित कर दिये गये साथ ही बैटरी की कीमत की किस्तें उस दौरान ग्राहक को लगातार भरनी पड़ी ।
कई कंपनियों ने पुरानी बैटरी को 60-70% प्रतिशत ही रिप्लेसमेंट दाम दिया गया, कई बार तो ग्राहक द्वारा ई-कार को उतना चलाया भी नहीं गया, उसके बावजूद उसे बैटरी के पैसे लगातार भरने पड़ते रहे। इस प्रकार दोषपूर्ण रवैये से Battery Leasing कॉन्सेप्ट पूर्णतः ग्राहक के प्रति हितैषी साबित नहीं हो सके।
Battery Leasing कॉन्सेप्ट को हमेशा के लिए चलाए रखने के लिए सर्वप्रथम उसकी चार्जिंग व्यवस्था को पावर स्टेशन विकसित करना आवश्यक होना चाहिए जिससे हमें पूर्णतः ग्रीन इनर्जी की ओर अग्रसर हो सके।
आज भारत में मौजूदा सरकारें बिजली प्रदाय योजनाओं में स्वार्थपरकता और राजनीतिक फायदे के लिए सब्सिडी के माध्यम से बिजली दे रही है जबकि यह पर्यावरण और आर्थिक रूप से पूर्णतः गलत है क्योंकि फ्री मिल रही बिजली का दुरूपयोग लोग Electric Vehicles को चार्ज करने में खपत कर रहे हैं, जिसके चलते ओवरलोड की समस्या और घरेलु बिजली के दाम दूसरे वर्ग को मंहगे साबित हो रहे हैं।
यदि Battery Leasing कॉन्सेप्ट में हम पावर स्टेशन की बाध्यता रखते हैं तो वहां हम एनर्जी के दूसरे सोर्स को स्थापित कर सकते हैं जैसे, सोलर पैनल, बायो सीएनजी पावर स्टेशन, हाइड्रोजन पावर स्टेशन विन्ड एनर्जी साथ ही इसे और विकसित रूप में ले जाऍं तो न्यूक्लियर पावर स्टेशन का भी हाईवे और खुले मैदानों में उपयोग कर सकते हैं। इसके लिये सरकारों को अपनी अच्छी नियति और दूरदर्शिता के साथ आगे आना होगा साथ ही ऊर्जा के नवीन साधनों को विकसित करना भविष्य के लिए और भी बेहतर होगा।
जहॉं हम हजारों करोड़ रूपयों का बजट बिजली बिल माफी और पेट्रोकेमिकल रिफाइनरी में खर्च कर रहे हैं वहा हम ऐसे पावर प्लांट स्थापित करके नवाचार को बढ़ावा दे सकते हैं, सरकारी निवेश से उद्योगपतियों को भी इस क्षेत्र में निवेश करना आसान होगा।
Battery Leasing कॉन्सेप्ट को और बेहतर बनाने के लिए बाजार में उपलब्ध सभी बैटरी कंपनी को एक से मॉडल और चार्जिंग पोर्ट विकसित करने की बाध्यता होनी चाहिए, और प्रत्येक बैटरी यूजर्स को किसी भी सालाना, मंथली या त्रेमासिक पैकेज के साथ कार्ड सुविधा उपलब्ध कराई जाए ताकि वह तय एरिया के अंदर कहीं भी उसका रिप्लेसमेंट आसानी से कर सके, चार्ज बैटरी शहर में हर जगह उपलब्ध हो ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित करना चाहिए।
इससे बैटरी कंपनियों को न केवल आर्थिक लाभ होगा, बल्कि उपभोक्ताओं की संतुष्टि और ब्रांड लॉयल्टी में भी वृद्धि होगी। इससे बैटरी कंपनियाँ बाजार में अपनी स्थिति मजबूत कर सकेंगी और एक स्थायी भविष्य की दिशा में योगदान दे सकेंगी।
Electric Vehicles और भविष्य की दिशा
Electric Vehicles के बाजार में कुछ और सुविधाएँ लाने की जरूरत है ताकि Electric Vehicles का क्षेत्र और अधिक सुविधाजनक बन सके। इसमें सरकार और नवाचार की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। सरकार को ऐसे नवाचार को प्रोत्साहित करना चाहिए और इसके लिए सब्सिडी या टैक्स में छूट प्रदान करनी चाहिए। इसके अलावा, रिचार्जिंग स्टेशनों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए ताकि EVs की रिचार्जिंग में आसानी हो।
Electric Vehicles के बाजार में कुछ और सुविधाएँ लाने की जरूरत है ताकि Electric Vehicles का क्षेत्र और अधिक सुविधाजनक बन सके। इसमें सरकार और नवाचार की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। सरकार को ऐसे नवाचार को प्रोत्साहित करना चाहिए और इसके लिए सब्सिडी या टैक्स में छूट प्रदान करनी चाहिए। इसके अलावा, रिचार्जिंग स्टेशनों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए ताकि EVs की रिचार्जिंग में आसानी हो।
Battery Leasing एक स्मार्ट और प्रभावी समाधान है जो इलेक्ट्रिक व्हीकल को अधिक सुलभ और व्यावहारिक बनाता है। यह मध्यमवर्गीय उपयोगकर्ताओं के लिए एक ऐसा विकल्प है जो उनकी आर्थिक चुनौतियों को हल कर सकता है और उन्हें Electric Vehicles अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है। इसके साथ ही, यह पर्यावरण के लिए भी बहुत हितकारी है, क्योंकि इससे उचित तरीके से बैटरी प्रबंधन किया जा सकता है और बिजली की बर्बादी को रोका जा सकता है।
आने वाले समय में, Battery Leasing का कॉन्सेप्ट इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह न केवल वाहन के स्वच्छता और टिकाऊपन को बढ़ावा देगा, बल्कि भारतीय उपयोगकर्ताओं को भी इलेक्ट्रिक व्हीकल अपनाने के लिए प्रेरित करेगा। इस प्रकार, Battery Leasing एक उत्कृष्ट समाधान है जो आर्थिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से दोनों तरीके से फायदेमंद हो सकता है।
Electric Vehicles शुरुआती लागत में कमी:
बैटरी की कीमत EV की कुल कीमत का एक बड़ा हिस्सा होती है। Battery Leasing से वाहन की शुरुआती लागत में भारी कमी आ सकती है, जिससे अधिक लोग EV खरीदने के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं। Battery Leasing कंपनियाँ नियमित रूप से बैटरियों को अपग्रेड करती रहती हैं। इससे ग्राहकों को हमेशा नवीनतम और उन्नत तकनीक की बैटरी का लाभ मिलता रहता है। Battery Leasing कंपनियाँ बैटरी के रीसाइक्लिंग और सही तरीके से निपटान का ध्यान रखती हैं, जिससे पर्यावरण पर बैटरी कचरे का बोझ कम पड़ता है।
आज Electric Vehicles (EVs) के बाजार में हाईरेंज वाहनों ने ग्राहकों के बीच एक विश्वसनीयता कायम की है साथ ही घरेलु और कामर्सियल वाहनों में Electric Vehicles एक अनिवार्य आवश्यकता बनते जा रहे हैं।
जहाँ एक ओर Electric Vehicles की हाई रेंज जिनमें विश्वस्तर पर अपनी क्वालिटी और सक्सेस से जानी जाती है जिनमें
Tesla Model S Long Range
Lucid Air Dream Edition
Tesla Model X Long Range
Ford Mustang Mach-E Extended Range
Porsche Taycan
Rivian R1T
Audi e-TRON GT
Mercedes-Benz EQS
शामिल हैं
वहीं भारत में मिड रेंज में सबसे अधिक डिमांडेड हैं
Tata Nexon EV Max
MG ZS EV
Hyundai Kona Electric
Tata Tigor EV
BYD E6
Jaguar I-PACE.
Battery Leasing कॉन्सेप्ट को लागू करने से लक्जरी ई-वाहनों की कीमतों में महत्वपूर्ण अंतर आ सकता है। लक्जरी ई-वाहनों की कुल कीमत का एक बड़ा हिस्सा बैटरी की लागत होती है। यदि उपभोक्ता बैटरी खरीदने के बजाय इसे लीज पर लें, तो वाहन की प्रारंभिक लागत में काफी कमी आ सकती है। बैटरी की लागत कुल वाहन लागत का लगभग 30-40% होती है।
बैटरी तकनीक के निरंतर विकास के साथ, उपभोक्ता समय-समय पर नवीनतम बैटरी तकनीक का लाभ उठा सकते हैं बिना अतिरिक्त लागत के। यदि उदाहरण के लिए एक लक्जरी ई-वाहन की कुल लागत 50 लाख रुपये है और बैटरी की लागत 15 लाख रुपये (जो कुल लागत का 30% है) है, तो Battery Leasing के बाद वाहन की प्रारंभिक लागत 35 लाख रुपये हो जाएगी।
Worldbridge का ऐसा अपना मत है कि Battery Leasing कॉन्सेप्ट को लागू करने से लक्जरी ई-वाहन की शुरुआती कीमत में 30% तक की कमी आ सकती है। इसके अलावा, रखरखाव और तकनीकी उन्नयन की सुविधाएं भी लक्जरी ई-वाहन मालिकों के लिए अतिरिक्त लाभ प्रदान करेंगी। यह मॉडल न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से बल्कि तकनीकी और उपयोगिता के दृष्टिकोण से भी आकर्षक हो सकता है। हालांकि यह तभी संभव है जब हम निष्पक्ष रूप से अपनी उत्पादकता में किसी भी प्रकार की कमी न रखें।