The Power of Artificial Intelligence (AI) : Shaping a Friendly Future in 2024

The Power of Artificial Intelligence (AI) : Shaping a Friendly Future in 2024

लगभग कुछ महीने पहले तक, इंसानों की नौकरियाँ छीनने वाली मशीनों के बारे चर्चा ऑटोमेशन और रोबोट/ह्यूमनॉइड्स के आसपास केंद्रित थी। The Power of AI चैटजीपीटी और अन्य Generative  Artificial Intelligence (एजीआई) मॉडल के आगमन ने एक वास्तविक और बड़ा खतरा पैदा कर दिया है।

लेकिन Artificial Intelligence दुनिया को खतरा नहीं बल्कि एक मित्र है, जहां पूरे विश्‍व में आज के युवाओं को स्किल करने के लिए सरकारें प्रोग्राम लॉंच कर रही है ताकि हम पूर्व स्‍थापित उद्योगों को और अधिक कौशल और अपने हुनर से ज्‍यादा भरोसेमंद और फायदेमंद बना सकें, ऐसे में हमारे बीच खबरें प्रसारित होती है कि AI जो दुनिया की 90 प्रतिशत नौ‍करियों को भविष्‍य में खत्‍म कर देगा क्‍या वास्‍तव में ऐसा हो सकता है.

Artificial Intelligence हमारे भविष्‍य में किसी हद तक रोजगार को खत्‍म नहीं बल्कि और नये रोजगार को सृजित करने में हमारी मदद करेगा, बर्शते हम AI को अपने काम में शामिल करते हुए कहीं आलसी न हो जाएं. हमें आज भी टेक्‍नोलॉजी के साथ काम करने में सतर्कता रखनी होती है, हमारे सेंटीमेंट और हमारे कार्यानुभव हमारे काम को हमेशा प्रभावित करते हैं, और दिमागी रूप से लिए गए फैसले कई बार हमारे कार्यों को उत्‍कृष्‍टता की श्रेणी में ला देता है

Artificial Intelligence (AI) क्‍या है और यह हमें क्‍यों मददगार है -

दरअसल AI एक मशीन लेंग्‍वेज है जिसके माध्‍यम से हम रोबोट अथवा कम्‍प्‍यूटर्स को लेंग्‍वेज के माध्‍यम से प्रोग्राम तैयार अथवा इंटरनेट सर्वर से जोड़कर कर वांछित उद्देश्‍य के लिए प्रेरित कर सकते हैं, जिसके माध्‍यम से वह प्रोग्राम हमें मानीय दिमाग जैसे बोलने, सुनने, लिखने, एनालिसिस करने, किसी भी डाटा के माध्‍यम से भविष्‍य की योजनाओं के प्रभाव और उसके कन्‍क्‍लूजन को बहुत आसानी से कर सकते हैं, और यदि मशीन लेंग्‍वेज को आपके द्वारा दिये गये इन्‍सट्रक्‍शन की सटीकता से जानकारी सहीं ढंग से प्राप्‍त हो जाती है तो संभवतः 99% वह उस कार्य को भलिभांति कर पायेगा.

और Artificial Intelligence चिकित्‍सा के क्षेत्र में गहन ऑपरेशन को भी सुगमता से अंजाम दे सकता है, तो सड़कों पर ऑटोमेडेट कारों को भी चला सकता है, किसी रेस्‍टोरेंट में खाना भी पका सकता है, और सर्व भी कर सकता है, किसी विमान को भी उड़ा सकता है तो ट्रेनों को भी चला सकता है, लेकिन इन सबके लिए Artificial Intelligence को इंसान द्वारा की जा रही दैनिक समस्‍त गतिविधियों के डेटाबेस की प्रोग्रामिंग बहुत सटीकता से देनी होगी.

सेल्सफोर्स इंडिया की सीईओ और और एसबीआई की पूर्व चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य के अनुसार, जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक वरदान है क्योंकि यह भारत में बहुत सारे ग्रंज या दोहराव वाले काम को दूर कर सकता है, और लोगों को वास्तव में अधिक रचनात्मक कार्य करने की सहूलियत प्रदान कर सकता है। भट्टाचार्य ने हाल ही में आईएएनएस को बताया, “जनरेटिव एआई  हमें जो करने में मदद करेगा वह वास्तव में चीजों को क्यूरेट करना है ताकि उन्हें हमारे लिए प्रासंगिक बनाया जा सके। यदि आप उनसे सही तरीके से सवाल पूछते हैं तो एआई वास्तव में मदद कर सकता है।

इन सबके बावजूद कार्य करने वालों से ही अक्‍सर गलती होती है और इंसानी गलती को सुधारने के लिए इंसान हमेशा प्रयासरत रहता है, उसे अपनी गलती का अहसास होता है और अपने मानवीय गुणों के कारण कहीं न कहीं कुछ गलत हो रहे कार्य को रोक पाने में सफल साबित होता है लेकिन अगर प्रोग्राम में कुछ गलती पाए जाने पर उसकी प्रोग्रामिंग में दी गई जानकारी का विश्‍लेष्‍ण यदि कोई इंसान करे तभी AI द्वारा किये गये कार्य की खामियों को जाना जा सकता है, 

Artificial Intelligence से हमें खतरा कहां है-

AI से हमें खतरा होगा जब हम अपने नैतिक कर्त्‍तव्‍यों को ताक पर रखकर बिना स्किल्‍ड हुए जब इन चीजों को हेंडल करेंगे, तब AI हमें नुकसानदायक होने के साथ-साथ हमारे व्‍यवसाय ही नहीं बल्कि हमारा अस्तित्‍व भी छीन लेगा. 

हम ऐसा इसलिये कह रहे हैं क्‍योंकि इसे हम एक उदाहरण से समझ सकते हैं, आज आधार कार्ड की प्राथमिकता हमारे लिये कितनी है इससे कोई भी अनजान नहीं है आज आधार नम्‍बर के माध्‍यम सरकार करोड़ों की योजनाओं का क्रियान्‍वयन सुगमता से कर रही है और यदि आधार के डेटा में किसी प्रकार की चूक होती है तो करोड़ों लोगों को दिये जा रहे वित्‍तीय लाभों में गड़बड़ी होने की संभावना बड़ सकती है, और यह केवल एक उदाहरण है.

हाल ही में एक खबर प्रेषित की गई थी किसी रेस्‍ट्रोरेंट में फोन रिसीव करने के लिए AI टूल का यूज किया जा रहा था किसी ग्राहक द्वारा दिये गये ऑर्डर में हो रहे विलंब के लिए फोन किया जाता है तब AI टूल को ग्राहक द्वारा प्रतिउत्‍तर में जानकारी सटीक न बैठने के कारण AI टूल अचानक से अभद्रता पर उतर आता है जिससे ग्राहक हीं नहीं बल्कि उस रेस्‍ट्रोरेंट को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है. 

इस प्रकार की घटनाओं से हम अंदाजा लगा सकते हैं कि किसी भी कार्य की अच्‍छाई के लिए श्रेय बहुत आसानी से लिया जा सकता है लेकिन उस कार्य में किसी गलती को स्‍वीकार करना सिर्फ इंसान को ही आता है. 

Artificial Intelligence से क्यों ज़रूरी है सावधानी बरतना?

इस प्रकार की घटनाओं से हम अंदाजा लगा सकते हैं कि किसी भी कार्य की अच्‍छाई के लिए श्रेय बहुत आसानी से लिया जा सकता है लेकिन उस कार्य में किसी गलती को स्‍वीकार करना सिर्फ इंसान को ही आता है. 

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस युक्त मशीनों से जितने फायदे हैं, उतने ही खतरे भी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सोचने-समझने वाले रोबोट अगर किसी कारण या परिस्थिति में मनुष्य को अपना दुश्मन मानने लगें, तो मानवता के लिये खतरा पैदा हो सकता है। सभी मशीनें और हथियार बगावत कर सकते हैं। ऐसी स्थिति की कल्पना हॉलीवुड की ‘टर्मिनेटर’ फिल्म में की गई है।

Artificial Intelligence के कारण नौकरियाँ खोने को लेकर हमें कितना चिंतित होना चाहिए?

“ऐतिहासिक रूप से, नई तकनीकों ने श्रमिकों और क्षेत्रों के बीच विजेता और हारने वाले पैदा किए हैं, जो कौशल सेट की बदलती आवश्यकताओं और व्यावसायिक संरचनाओं को समायोजित करने की उनकी क्षमता पर निर्भर करते हैं।” – बोरिस निकोलेव, सहायक प्रोफेसर, बिजनेस कॉलेज

भारत में एक समय ऐसा था जब फोटोकॉपी जैसी तकनीक विकसित नहीं हुई थी तब आवश्‍यकता पड़ने पर मूल दस्‍तावेज की 2 से 3 कार्बन कॉपी पहले ही तैयार कर ली जाती थी और यदि किसी नौकरी के लिए अपने दस्‍तावेजों की कॉपी लगाने के लिए स्‍टेशनरी पर खाली प्रोफार्मा मिल जाते थे जिन्‍हें नोटरी द्वारा फिल करवाकर मूल प्रतियों से जांच कर उसे अटेस्‍टेड किया जाता था, लेकिन फोटोकॉपी मशीन के आते ही हमें तकनीक की मदद मिली और दिनों में होने वाले कामों को हम मिनिटों में ला सके.

इसी तरह अमेरिका की 90% आबादी जब कृषि क्षेत्र में काम करती थी, और जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी में सुधार हुआ है, उसी उत्पादन के लिए कम जनशक्ति की आवश्यकता हुई, जिससे आधुनिक समय में यह संख्या 2% के करीब हो जाती है। इस बीच, श्रमिकों ने अपने करियर को उन क्षेत्रों में स्थानांतरित कर दिया है जिनके लिए मानव कौशल की आवश्यकता होती है, चाहे वह विनिर्माण हो जब कृषि क्षेत्र में कम मांग थी, डिलीवरी ड्राइविंग और प्रोग्रामिंग जब ई-कॉमर्स ने पारंपरिक खुदरा का चेहरा बदल दिया।

AI से भविष्‍य में हमारी जॉब पर कब्ज़ा किए जाने का ख़तरा हो तो क्या करें?

कई नौकरीशुदा लोग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि एआई जल्द ही नौकरियों की जगह ले लेगा। इसके बजाय, इस डर से निपटने और इन परिवर्तनों के प्रति कम संवेदनशील होने के लिए हम कुछ रणनीतियाँ अपनाकर AI से मित्रवत होकर अपने काम को आसान बना सकते हैं-  

Worldbridge अपने रिसर्च एवं स्‍टडी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जो कई दशकों से चर्चा के केंद्र में रहा एक ज्वलंत विषय रहा है, वैज्ञानिक इसके अच्छे और बुरे परिणामों को लेकर समय-समय पर विचार-विमर्श करते रहते हैं। आज दुनिया तकनीक के माध्यम से तेज़ी से बदल रही है। विकास को गति देने और लोगों को बेहतर सुख-सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिये प्रत्येक क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक का भरपूर उपयोग किया जा रहा है।

 बढ़ते औद्योगीकरण, शहरीकरण और भूमंडलीकरण ने जहाँ विकास की गति को तेज़ किया है, वहीं इसने कई नई समस्याओं को भी जन्म दिया है, जिनका समाधान करने के लिये नित नए समाधान सामने आते रहते हैं। जहाँ वैज्ञानिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अनेकानेक लाभ गिनाते हैं, वहीं वे यह भी मानते हैं कि इसके आने से सबसे बड़ा नुकसान मनुष्यों को ही होगा, क्योंकि उनका काम मशीनों से लिया जाएगा, जो स्वयं ही निर्णय लेने लगेंगी और उन पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो वे मानव सभ्यता के लिये हानिकारक हो सकते हैं। ऐसे में इनके इस्तेमाल से पहले लाभ और हानि दोनों को संतुलित करने के आवश्यकता होगी।

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