World Cancer Day 2024: The Fight Against Cancer Never Stop
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World Cancer day: 04 फरवरी को वैश्विक दिवस के रूप में चर्चा का विषय होता है हम सभी इस बीमारी की विभीषिका को अच्छे तरीके से जानते व समझते हैं गूगल सर्च के मुताबिक हर साल लगभग 10 मिलियन लोग इस बीमारी के कारण अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं, ऐसा माना जाता है कि विश्व में हर छठवी मौत का कारण आज कैंसर है, हम इस पोस्ट में जानगे कि कैसे कैंसर के खिलाफ हम लड़ सकते हैं और लोगों को इसके संबंध में अवेयर कर सकते हैं ताकि कोई भी इस बीमारी के चपेट में न आ सके.
World Cancer Day: किसी विशेष दिवस या अभियान को हम तारीखों में समेट लेते हैं जैसे किसी महान व्यक्ति के जन्मदिन अथवा पुण्यतिथि पर उनको याद करके श्रध्दांजलि अर्पित कर हम अपने कर्त्तव्यों से विमुक्त हो जाते हैं क्या सही मायने में उनको दी गई श्रध्दांजलि सच्ची श्रध्दांजलि हो सकती है? बल्कि हमें उनके विचारों को स्वयं अंगीकार करते हुए लोगों को जागरूक करते हुए उनको सच्ची श्रध्दांजलि अर्पित कर सकते हैं.
World Cancer Day पर केंसर से लड़ने के लिए न केवल एक दिन के चर्चा का विषय बनायें बल्कि उसके खिलाफ हम एक अभियान की तरह जुडकर हारे हुए लोगों को अवसाद से निकालने का प्रयास करें और एक अच्छा स्वास्थ्यपूर्ण जीवन जीने की ओर अग्रसर हों, ऐसा अक्सर हमने सुना होगा कि केंसर से लड़ते हुए कई लोगों ने स्वयं को हारने नहीं दिया और इसके पीछे क्या वजह रही इसके बारे में हम एक विस्तृत चर्चा करें लेकिन सबसे पहले हम केंसर को जानते हैं कि यह हमारे शरीर में कितने प्रकार से बन सकती है और इसके होने के मुख्य कारणों पर चर्चा करते हैं.
कैंसर हमारे शरीर में कितने प्रकार से बन सकता है –
कैंसर एक व्यापक बीमारी है जिसमें शरीर के किसी भी अंग में अनियंत्रित कोशिकाएं 200 से अधिक विभिन्न बीमारियों के साथ हमारे शरीर में कैंसर का कारण बनती है, इसलिए यदि हम सभी प्रकार के कैंसर को व्यक्तिगत रोग मानें, तो कैंसर जैसी 200 से अधिक बीमारियाँ हैं।
लेकिन अभी तक अधिकतम बीमारियों के लक्षणों को देखें तो शरीर में अनियंत्रित कोशिका वृद्धि या असामान्य ऊतक प्रसार जिसे हम ट्यूमर के नाम से जानते हैं, यह काफी संख्या में कैंसर का प्रमुख कारण है इसमें सौम्य ट्यूमर, कैंसर-पूर्व घाव और कैंसर में विकसित होने की संभावना वाली अन्य स्थितियाँ शामिल हो सकती हैं।
इसके अतिरिक्त, कई अन्य बीमारियाँ, जैसे क्रोनिक संक्रमण या ऑटोइम्यून विकार, सर्वाइकल केंसर, ब्लड कैंसर, आंत में रक्त स्त्राव, शरीर के किसी भी ऊपरी हिस्से में फंगल इन्फेक्शन जो असाधारण हो अथवा लाइलाज हो तथा असामान्य कोशिका वृद्धि या ऊतक क्षति शामिल हो सकती है, भले ही उन्हें आमतौर पर “कैंसर की तरह” के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता.
कैंसर के होने का सबसे प्रमुख कारण क्या है
कैंसर की भयावता को देखा जाए तो इसके शरीर में फैलने का कोई विशेष कारण न होने के बावजूद भी लोगों में इसके Symptoms पाये गये हैं साथ ही शरीर में पहले से पाई गई किसी पुरानी बीमारी भी इसका मुख्य कारण रही है इसी के साथ World Cancer Day पर कुछ अन्य पहलुओं पर बात करते हैं जो इसके मुख्य कारण हो सकते हैं –
- 1. धुम्रपान तम्बाकू का सेवन
संपूर्ण विश्व में 25% कैंसर से होने वाली मौतों में धुम्रपान और तम्बाकू का सेवन पाया गया है, यह डीएनए को नुकसान पहुंचाने के साथ अनियंत्रित रूप से शरीर में विकृत कोशिकाओं जोकि फेंफड़ों, गले, अथवा मुंह और मूत्रासय और अग्नाशय में विकसित होती है जिससे कैंसर को बढ़ावा मिलता है.
- 2. Unhygienic आहार एवं अनियंत्रित रूप से मोटापा कैंसर का दूसरा सबसे बड़ा कारण
भागदौड़ भरी जिंदगी में कई बार अस्वास्थ्यकर आहार हमारी लाइफस्टाइल का बनता जा रहा जिसमें बासी मांस, प्रोसेस्ड फूड, लाल मांस और अधिक शुगर युक्त कार्बोनिक पेय एवं अम्लीय पेय की अधिक मात्रा में उपयोग जो हमारे मेटाबॉलिज्म को कमजोर करते हैं जिससे नींद न आने की समस्यायें, खूनी बवासीर, मोटापा और खून में कोलेस्ट्राल की अनियंत्रित मात्रा जिससे कैंसर के विकास को बढ़ावा मिलता है.
- 3. शराब का सेवन -
अत्यधिक शराब का सेवन लिवर, मुंह, गले, ग्रासनली और महिलाओं में स्तरन कैंसर के जोखिम को और भी बढ़ा देता है, शराब कोशिका चयापचय को बाधित करती है और आंत में सूजन बढ़ाती है जिससे शरीर में कैंसर के विकास के लिए वातावरण तैयार होता है.
- 4. अल्ट्रावायलेट यूवी रेडियेशन -
शरीर में त्वचा का कैंसर यूवी रेडियेशन के प्रभाव में आने से इसका खतरा काफी बढ़ जाता है, जो विश्व स्तर पर सबसे आम कैंसर का कारण है, अमेरिकन कैंसर सोसायटी के सर्वेक्षण के मुताबिक अधिकांश त्वचा कैंसर सूरज की रोशनी में यूवी किरणों के संपर्क में आने के कारण होते हैं। बेसल सेल और स्क्वैमस सेल कैंसर (त्वचा कैंसर का सबसे आम प्रकार) दोनों शरीर के सूर्य के संपर्क में आने वाले हिस्सों पर पाए जाते हैं. यूवी विकिरण त्वचा कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है और अनियंत्रित कोशिका वृद्धि को गति दे सकता है, जिससे मेलेनोमा और अन्य त्वचा कैंसर हो सकते हैं।
- 5. पुरानी बीमारी अथवा घाव
व्यक्ति के शरीर में किसी पुराने जख्म अथवा घाव में दीर्घकालिक संक्रमण का उचति इलाज न होने की स्थिति में कैंसर के सिण्ड्रोम बनने लग जाते हैं, उदाहरण के लिए, ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) सर्वाइकल कैंसर से जुड़ा हुआ है, और हेपेटाइटिस बी और सी वायरस लिवर कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं। इसके अतिरिक्त, एपस्टीन-बार वायरस (ईबीवी) कुछ लिम्फोमा और गैस्ट्रिक कैंसर से जुड़ा हुआ है।
- 6. फल अथवा सब्जियों के उपयोग किये जा रहे केमिकल
मानव शरीर में आर्सेनिक, बेंजीन, आयनीकृत विकिरण और कुछ अन्य रसायन की मात्रा के बड़ने के कारण शरीर में कैंसर की संभावना बढ़ जाती है, आज फलों अथवा सब्जियों को उगाने साथ ही उनके रखरखाव में भारी मात्रा में विभिन्न प्रकार के रसायनों का उपयोग किया जाता है, साथ ही कई कंपनियां मानक स्तर का उल्लंघन करते हुए अपने फायदे के लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल कर प्राकृतिक रूप से खासा नुकसान पहुंचाकर कैंसर के बढ़ने का मुख्य कारण भी बन सकता है
समाज के प्रति हमारी उदासीनता जो हमारे नैतिक कर्त्तवयों का गला दबाती है
मानव शरीर में हानिकारक रसायनों के पाये जाने का ग्राफ इतना ज्यादा है कि सिरसा स्थित चौधरी देवीदयाल विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी एंड एनवायरमेंटल साइंसेस की रिसर्च रिपोर्ट में मां के दूध में पेस्टीसाइड मिलने की बात सामने चुकी है, जब इस मामले की वजह जानने की कोशिश की गई तो पता चला कि गाय या भैंस को दिए जाने वाले चारे में पेस्टिसाइड्स की काफी मात्रा होती है. पशुओं को ऐसा चारा खिलाने से उनके दूध पर असर पड़ता है. यही दूध इंसान के शरीर में पहुंचता है तो उसमें मौजूद पेस्टिसाइड्स रिएक्ट करते हैं. मां के शरीर में फैट सॉल्युबल केमिकल्स के घुलने से भी उनके दूध में पेस्टिसाइड्स की मात्रा बढ़ती है.
World Cancer day पर यह जाननामहत्वपूर्ण है कि ये केवल कुछ प्रमुख कारक हैं, और कैंसर का विकास अक्सर आनुवंशिक, जीवनशैली और पर्यावरणीय कारकों के संयोजन से प्रभावित होता है। हालाँकि हम हर चीज़ को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं, स्वस्थ जीवन शैली अपनाने, नियमित जांच और शीघ्र पता लगाने से कैंसर के खतरे को काफी कम किया जा सकता है और रोग का निदान बेहतर हो सकता है।
अब तक रिसर्ज और अनुसंधान से कैंसर के निदान और उपचार में महत्वपूर्ण प्रगति के बावजूद, (Cancer) विश्व स्तर पर मृत्यु का एक प्रमुख कारण बना हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि 2018 में 9.6 मिलियन कैंसर से मौतें हुई, यह संख्या 2030 तक बढ़कर 13.2 मिलियन हो जाने का अनुमान है।
World Cancer Day पर प्रण करें कि कैंसर से कैसे लड़ा जा सकता है?
कई कैंसर शरीर में धीरे-धीरे बढ़ते हैं और उनके लक्षण दिखने में कई साल लग सकते हैं, कभी-कभी नियमित परीक्षणों के दौरान या कैंसर की जांच के दौरान कैंसर का पता चलता है जिससे कैंसर का सटीक निदान करने में समय लगता है ।
कैंसर का निदान करने के लिए विभिन्न परीक्षणों का उपयोग किया जाता है। ये समस्या के स्थान और आपके लक्षणों पर निर्भर करते हैं। परीक्षणों में रक्त परीक्षण , एक्स-रे , सीटी स्कैन , एमआरआई स्कैन या अल्ट्रासाउंड शामिल हो सकते हैं ।
कैंसर के इलाज के कई तरीके हैं साथ ही उपचारों में हर समय सुधार हो रहा है। आपके लिए सर्वोत्तम प्रकार का उपचार कैंसर के प्रकार और यह कितना उन्नत है, इस पर निर्भर करता है।
कैंसर के कुछ उपचार विकल्पों में शामिल हैं:
कैंसर के इलाज के कई तरीके हैं साथ ही उपचारों में हर समय सुधार हो रहा है। आपके लिए सर्वोत्तम प्रकार का उपचार कैंसर के प्रकार और यह कितना उन्नत है, इस पर निर्भर करता है।
- सर्जरी: कैंसर को दूर करने के लिए
- इम्यूनोथेरेपी : उपचार जो कैंसर से लड़ने के लिए आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली के हिस्सों का उपयोग करता है
- लक्षित थेरेपी: दवा जो केवल कैंसर को लक्षित करती है, आपके शरीर की अन्य कोशिकाओं को नहीं
- हार्मोन थेरेपी: एक उपचार जो कैंसर के प्रसार को रोकने या धीमा करने के लिए हार्मोन का उपयोग करता है
- स्टेम सेल प्रत्यारोपण: कुछ रक्त कैंसर के इलाज के लिए इसे अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण भी कहा जाता है
इसी के साथ भारत में कई व्यक्तियों को विभिन्न स्टेजों पर कैंसर के लक्षण पाये जाने के बावजूद आर्युवेदिक तरीके से किये गये इलाज में काफी हद तक सफलता मिली है यह आयुर्वेदिक उपचार कैंसर की अवस्था और प्रकार पर निर्भर करता है। ऐसे कई प्रकार के कैंसर हैं जिन्हें आयुर्वेद के माध्यम से सफलतापूर्वक ठीक किया जा सकता है, खासकर अगर कोई मरीज कैंसर के शुरुआती चरण में आयुर्वेदिक उपचार की ओर रुख करता है। World cancer day पर जानें इसके इलाज हेतु आर्युवेद कहां तक सक्षम है.
आयुर्वेदिक उपचार मुख्यतः तीन कारकों पर आधारित है। व्यक्ति को रोग के कारणों से बचना, आयुर्वेदिक विज्ञान द्वारा वर्णित दोषों के अनुसार उपचार लेना, और अंत में पंचकर्म या शरीर का विषहरण करना. इन सभी पद्यतियों में कार्यकरने की प्रक्रिया को पंचकर्म क्रिया या चिकित्सा कहा जाता है.
इसमें सबसे खास यह है कि आयुर्वेद का लक्ष्य रोगी की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना है जिससे कैंसर कोशिकाओं से लड़ने में मदद मिल सके। मरीज़ निश्चित रूप से लक्षणों से राहत, जीवित रहने में वृद्धि और जीवन की गुणवत्ता के मामले में सकारात्मक बदलाव दिखाएंगे।
कैंसर पीडि़त व्यक्ति से हमें सहानुभूति होनी चाहिए
Worldbridge का मत है कि एक कैंसर पीडि़त व्यक्ति भी हमारे और आपके बीच का ही व्यक्ति हो सकता है उसके प्रति हमारा सामाजिक दृष्टिकोण सहानुभूतिपूर्ण होना चाहिए और उन्हें प्रेरित करना चाहिए कि इस लड़ाई में इससे पहले कितने ही लोगों ने स्वयं को जीत दिलाई है. हमारा विश्वास है कि इस World cancer day से हमारी उनके प्रति सोच बदलेगी.
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